1993से मनाया जा रहा  वर्ल्ड अस्थमा दिवस

आज विश्व अस्थमा दिवस है। जो इस बीमारी से जूझ रहे है वह इस बीमारी  की परेशानियों से वाकिफ है। लेकिन अगर उन्हें सही समय पर इस बिमारी के बारे में पता चल जाता तो शायद वह इसे नियंत्रित कर पाते। शुरुआत में जब यह बिमारी आती है तो अज्ञानता के कारण सभी घरेलू नुस्खे अपनाते है। ऐसे में समय बीतता जाता है और यह बिमारी शरीर को पूरा तरह से जकड़ लेती है।  लेकिन अगर समय रहते इस पर नियंत्रण पा लिया जाए तो  इस बिमारी से  से होने वाले जानी नुक्सान से बचा जा सकता है।  यह जानकारी डिस्ट्रिक्ट प्रोग्राम ऑफिसर डॉ गगन  ने बताया कि शुरुआती तौर पर रोगी को   साँस लेने के दौरान सीटी बजने जैसी आवाज आती है।  साँस उखड़ने लग जाती है। रोगी  छाती में जकड़न महसूस  करता है।  तेज़ खांसी होने लगती है। अगर यह लक्षण किसी में है तो उसे तुरंत चिकित्स्क के पास आना चाहिए।  उन्होंने बताया कि पहले तो यह बिमारी केलव वृद्धों में होती थी लेकिन अब यह बिमारी बच्चों में भी होने लग गई है। लेकिन  इस बिमारी से घबराने की ज़रूरत नहीं है।  उन्होंने बताया कि  अस्थमा की स्थिति में वायुमार्ग संकीर्ण और सूज जाते हैं, इसके अलावा अतिरिक्त बलगम का उत्पादन होने लगता है। ऐसी स्थिति में सांस लेने में दिक्कत होने लगती है। ऐसे में विश्व स्तर पर अस्थमा से बचाव और रोकथाम के लिए जागरूकता फैलाने के लिए प्रतिवर्ष विश्व अस्थमा दिवस मनाया जाता है।