अगला जोशीमठ बनने के कगार पर विश्व विख्यात शक्तिपीठ श्री नैना देवी…!

 5000 फीट की ऊंचाई पर स्थित विश्व विख्यात शक्तिपीठ श्री नैना देवी में जल्द ही पहाड़ों की खुदाई का कार्य बंद नहीं किया, तो जोशीमठ की तरह आने वाले समय में यह धार्मिक स्थल भी भूस्खलन से समाप्ति की कगार पर आ जाएगा।

बता दें कि 1100 बीघा क्षेत्रफल में फैला श्री नैना देवी जी धार्मिक स्थल जोशीमठ जैसे हालात पैदा कर रहा है। इस ऊंचे पहाड़ी पर बड़े-बड़े होटल, मकान, सड़कें धड़ाधड़ बन रहे है। बड़े-बड़े प्रोजेक्ट स्वीकृत करके मंदिर न्यास प्रदेश सरकार भी इस पहाड़ी को खोखला करती जा रही है।

उल्लेखनीय है कि शक्तिपीठ पर 1978 में भारी भूस्खलन हो चुका है, जिसमें धार्मिक स्थल का बस अड्डा, दुकानें, पहाड़ी पर बाजार में स्थित मकान चपेट में आ गए थे। जोकि पूरी तरह ध्वस्त हो गए थे। रातों-रात लोग बेघर हो गए थे। बताया जा रहा है कि उस समय भू वैज्ञानिकों ने इस क्षेत्र का निरीक्षण किया था और श्री नैना देवी की पहाड़ी को डेंजर जोन में घोषित किया था। हालांकि समय-समय पर लोगों ने यह मांग उठाई कि इस धार्मिक स्थल के बचाव के लिए पहाड़ों की खुदाई वृक्षों का कटान बंद किया जाना चाहिए।

इस मामले में पूर्व मंत्री रामलाल ठाकुर का कहना है कि वह कई बार इस मुद्दे को उठा चुके है। 1977-78 में जो श्री नैना देवी जी में भूस्खलन हुआ उस समय भारी तबाही हुई थी। यहां तक कि कोला वाला टोबा तक उसका असर देखने को मिला था। उस समय की दरारें अभी भी नज़र आती हैं। रामलाल ठाकुर ने कहा कि उस समय भू वैज्ञानिकों ने यह रिपोर्ट दी थी कि यह पहाड़ी डेंजर जोन में है, लेकिन भाजपा की पिछली सरकार व प्रशासन ने यहां पर बड़े-बड़े प्रोजेक्ट पास करके इस पहाड़ी के लिए खतरा पैदा कर दिया है।

लगातार इसकी खुदाई की जा रही है। बड़ी-बड़ी चट्टानें जेसीबी मशीनों से बाहर निकाल दी है। जिससे अंदर ही अंदर यह पहाड़ खोखला होता जा रहा है। उन्होंने कहा कि मंदिर के आस-पास की पहाड़ी से तो छेड़छाड़ बिल्कुल नहीं करनी चाहिए थी, लेकिन जिस तरह से पहाड़ी की खुदाई करके बड़ी-बड़ी इमारतें बनाई जा रही है। उससे यहां पर जोशीमठ जैसे हालात पैदा होने वाले है।

रामलाल ठाकुर ने कहा कि पहाड़ी पर सभी खुदाई के कार्यों को जल्द से जल्द बंद कर दिया जाए, ताकि माता रानी की पहाड़ी पूरी तरह से सुरक्षित रह सकें। जोशीमठ जैसे हालात यहां पर पैदा न हो। इस मुद्दे पर स्थानीय लोगों से जब बात की तो 1978 में भूस्खलन में तबाही का मंजर देख चुके एडवोकेट जिला कांग्रेस महामंत्री प्रदीप शर्मा का कहना है कि उनका पुश्तैनी घर जोकि श्री नैना देवी के बाजार में था। भूस्खलन में पूरी तरह ध्वस्त हो गया था। उन्हें मकान छोड़कर ऊपर मंदिर के पास अपना बचाव करना पड़ा। उन्होंने कहा कि रातों रात जब भूस्खलन हुआ तो न बस अड्डे का पता चला और न ही आस-पास की दुकानों का। आज भी वह मंजर उसे डरा देता है।

वहीं, स्थानीय निवासी पूर्व मंदिर न्याशी पुजारी सीता राम शर्मा, प्रवेश कुमार , मनीष कुमार का कहना है कि श्री नैना देवी में पानी की निकासी भी सही नहीं है। जगह-जगह पर पहाड़ी खिसक रही है। यहां तक कि वार्ड नंबर 3 में कई जगह स्लाइड जॉन बने हुए है। लेकिन फिर भी इस पहाड़ी पर अतिरिक्त बोझ डालने का कार्य किया जा रहा है। जिससे हालात ओर भी खराब होती जा रही है। उन्होंने प्रदेश सरकार से मांग की है कि यहां पर पहाड़ी की खुदाई पेड़ों के कटान पर बिल्कुल रोक लगाई जानी चाहिए।