World Heart Day: जिन्‍हें हुआ था कोरोना, उन्‍हें दिल की बीमारी का खतरा 20-25% ज्‍यादा

World Heart Day 2022: डॉक्‍टर्स के अनुसार, जिन्‍हें कोविड हुआ उनमें दिल की बीमारी के मामले एक-चौथाई तक बढ़ गए। पढ़‍िए विश्‍व हृदय दिवस पर हमारी खास रिपोर्ट

नई दिल्ली: आज वर्ल्ड हार्ट डे है। दिल बीमार हो तो जान खतरे में पड़ जाती है। कोविड के बाद तो जान पहले से दांव पर थी और कोविड ने इस पर डबल अटैक कर रखा है। दो साल बीत जाने के बाद भी कोविड न केवल परेशान कर रहा है, बल्कि कई लोगों के लिए जान का दुश्मन भी बना हुआ है। एक्सपर्ट्स मानते हैं कि जिन लोगों को कोविड हुआ उनमें हार्ट की बीमारी के मामले 20 से 25 पर्सेंट बढ़ गए हैं। ऊपर से दिल्ली का प्रदूषण दिल की बीमारियों को और बढ़ा देता है। इसलिए जरूरी है कि लोग हार्ट के लक्षणों को समझें और समय पर इलाज के लिए पहुंचें, ताकि बीमार दिल का इलाज किया जा सके और जीवन की डोर को थामे रखा जा सके।

एम्स के कार्डियोलॉजिस्ट डॉक्टर योगेंद्र सिंह ने बताया कि जिनको कोरोना होता है, उनके शरीर के इन्फ्लामेट्री मार्कर बढ़ जाते हैं। खून की मात्रा में दो प्रमुख तत्व फिक्स होते हैं- 45% सेल्स होते हैं और 55% प्लाज्मा होता है, यानी लिक्विड या पानी। जब इन्फ्लामेशन की वजह से सेल्स की मात्रा 45% से बढ़कर 60 या 70% तक पहुंच जाती है तो खून गाढ़ा होने लगता है जिसकी वजह से स्ट्रोक, कार्डिकए अरेस्ट या सडन कार्डिएक अरेस्ट होता है। डॉक्टर ने कहा कि जिन लोगों में कोविड हुआ है उनमें नॉर्मल लोगों की तुलना में हार्ट की बीमारी 20 से 25% बढ़ जाती है।

डॉक्टर सिंह ने कहा कि इसकी वजह से एक्यूट हार्ट अटैक और एक्यूट पल्मोनरी एबोलिज्म होता है। हार्ट के राइट वेंट्रिकल से खून लंग्स में जाता है जहां यह साफ होता है, लेकिन जब इसमें ब्लॉकेज होता है तो खून लंग्स तक नहीं पहुंच पाता है, इसे एक्यूट पल्मोनरी एबोलिज्म कहा जाता है। लेकिन जब ब्लॉकेज की वजह से खून लेफ्ट वेंट्रिकल में ही नहीं पहुंच पाता है तो इसे एक्यूट हार्ट अटैक कहा जाता है। लेफ्ट वेंट्रिकल से खून पूरे शरीर में जाता है, इसलिए अगर इसमें ब्लॉकेज हो तो इलाज जरूरी है, स्टेंट डालने की जरूरत पड़ती है। उन्होंने कहा कि मुख्य रूप से हार्ट के तीन वेसेल्स होते हैं। मुख्य नली कोरोनरी आर्टरी में ब्लॉकेज हो जाए तो मरीज हॉस्पिटल भी नहीं पहुंच पाता है, लेकिन बाकी के दोनों में थक्का बनने पर 95% तक बचा जा सकता है।

डॉक्टर ने बताए Heart Attack से बचने के आसान तरीके, हार्ट को ‘हार्ड’ बनाने के लिए बस करना होगा ये काम
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    • दिल हर दिन लगभग 2000 गैलन रक्त पंप करता है।
    • दिल का आकार औसतन एक वयस्क की मुट्ठी के बराबर होता है।
    • एक दिल हर दिन लगभग एक लाख बार धड़कता है।
    • दिल मस्तिष्क या शरीर के बिना कार्य कर सकता है।
    • औसतन एक पुरुष का दिल एक महिला के दिल से 2 औंस भारी होता है।
    • एक महिला का दिल एक पुरुष के दिल की तुलना में थोड़ा तेज़ धड़कता है।
    • औसतन एक सामान्य मानव का दिल एक मिनट में 72 से 80 बार धड़कता है।
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    • डाइट में फल, सब्जी व साबुत अनाजों को अधिक मात्रा में शामिल करें
    • गेहूं की रोटी की जगह बाजरा खाएं
    • साल्मन मछली, अखरोट, बादाम, सोयाबीन, अलसी खाएं
    • जितनी भूख से 20 फीसदी कम भोजन करें
    • नियमित रूप से एक्सरसाइज करें
    • खुद को तनावमुक्त रखें
    • ब्लड प्रेशर, ब्लड शुगर व कोलेस्ट्रॉल लेवल को नियंत्रित रखें
    • प्रतिदिन आठ घंटे की पूरी नींद लें
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    • छाती में बेचैनी और भारीपन महसूस होना
    • छाती में दर्द के साथ साँस फूलने की समस्या
    • सीने में जलन और दर्द होना
    • शरीर में सूजन होना
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    डॉ. राजन ठाकुर बताते हैं कि हार्ट अटैक में फिर भी जिंदा रहने की संभावना रहती है। लेकिन, कार्डियक अरेस्ट के बाद तो 90 फीसदी लोग मौत के शिकार हो जाते हैं। ऐसे में हार्ट अटैक आने पर मरीज को लेटाकर उनके कपड़ों को ढीला करना चाहिए। और कार्डियक अरेस्ट आने पर तुरंत सीपीआर देना चाहिए।

    कार्डियक अरेस्ट में दिल काम करना बंद कर देता है। इसलिए जब तक मरीज अस्पताल नहीं पहुँच जाता है, तब तक मरीज की छाती को जोर-जोर से दबाने से उसकी जान बच सकती है। देखा गया है कि अगर कार्डियक अरेस्ट होने पर तुरंत सीपीआर दे दिया जाए, तो मरीज के जीवित रहने की संभावना 20-30 प्रतिशत तक बढ़ जाती है।

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    डॉक्टर बताते हैं कि जिन लोगों के फैमली में हार्ट की बीमारियां होती है उन लोगों में इसका जोखिम बाकियों के मुकाबले ज्यादा होता है। इसके साथ ही उन लोगों में हार्ट डिजीज का खतरा ज्यादा होता है जो मोटापे से ग्रसित है, अल्कोहल का सेवन करते, स्मोकिंग करते हैं, हाई ब्लड प्रेशर के मरीज है, डायबिटीक है।

    डिस्क्लेमर: यह लेख केवल सामान्य जानकारी के लिए है। यह किसी भी तरह से किसी दवा या इलाज का विकल्प नहीं हो सकता। ज्यादा जानकारी के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से संपर्क करें।

‘फिट होने के लिए सारी रिपोर्ट नॉर्मल होना जरूरी’
हाल ही में एनबीटी से बात करते हुए देश के जाने-माने कार्डिएक सर्जन डॉ. देवी शेट्टी ने कहा कि हार्ट बेहतर काम कर रहा है या नहीं, मेरे अनुसार इसका पैमाना अलग है। अगर कोई एक महीने में दो बार माउंट एवरेस्ट पर चढ़कर भी आता है, तो भी मैं उसे फिट करार नहीं दे सकता हूं। जब किसी का भी ब्लड रिपोर्ट, ईसीजी, हार्ट के सीटी स्कैन, पेट का अल्ट्रासाउंड रिपोर्ट सही नहीं होगा, तो वह फिट नहीं है। उन्होंने कहा कि आप किसी सेलिब्रिटी को आए हार्ट अटैक को सुनकर सोचते होंगे कि ऐसा कैसे हो गया। दरअसल उनके शरीर में आ रहे बदलाव की वजह से ऐसा होता है, जो उन्हें पता तक नहीं होता। यह बदलाव उनके शरीर में 10 से 15 साल पहले से आना शुरू हो जाता है। इसलिए 40 साल से ऊपर के सभी लोग हार्ट के मरीज की तरह हैं, और उन्हें हर एक-दो साल में अपनी जांच जरूर करानी चाहिए। शुरुआत में बीमारी पकड़े जाने पर इलाज भी संभव है और खर्च भी कम आता है।

मणिपाल हॉस्पिटल के कार्डियोलॉजिस्ट डॉक्टर बिपिन दूबे ने कहा कि सडन कार्डिएक अरेस्ट भी बढ़ा है। इसमें हार्ट का रीदम एब्नॉर्मल हो जाता है। जब हार्ट का इलेक्ट्रिकल सिस्टम सही काम नहीं करता है तो इसकी वजह से हार्ट फंक्शन प्रभावित होता है, हार्ट पंप नहीं कर पाता। इससे शरीर में ब्लड का फ्लो प्रभावित होता है और इसके कारण सडन कार्डिकए अरेस्ट होता है। उन्होंने कहा कि एक तरह से हार्ट का पंपिंग जीरो और इलेक्ट्रिक सिस्टम जीरो होना ही इसकी प्रमुख वजह है। इसका तुरंत इलाज तो सीपीआर है, इसके लिए कम से कम दो आदमी की जरूरत होती है। एक आदमी नहीं कर सकता है। दूसरा नजदीक का अस्पताल है, जहां पर शॉक देने की सुविधा हो।
85 साल के बुजुर्ग हार्ट अटैक के शिकार, बची जान
85 साल के एक बुजुर्ग को आए हार्ट अटैक के बाद समय पर इलाज मिलने से उनकी जान बच गई। आकाश हेल्थकेयर के कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. आशीष अग्रवाल ने बताया कि हाइपोटेंशन के कारण मरीज का सेंसरियम (सेंसरी और ब्रेन फंक्शन) बदल गया था। इसके अलावा मरीज की ईसीजी की गई, जिसमें हार्ट रेट लगभग 20-30 प्रति मिनट पाया गया था, जिससे पता चला कि बड़े पैमाने पर मरीज को हार्ट अटैक आया था।

एंजियोग्राफी से पता चला कि दाहिनी कोरोनरी आर्टरी 100% ब्लॉक हो गई थी। मरीज की हालत गंभीर थी और बीपी और पल्स दोनों का पता नहीं चल रहा था, इसलिए वेंटिलेटर पर ले जाया गया और उनका ब्लड प्रेशर बढ़ाने के लिए इंजेक्शन लगाया। इसके अलावा एक टेंपररी पेसमेकर भी लगाया गया। उसके बाद हमने एक कॉम्प्लेक्स एंजियोप्लास्टी प्रक्रिया की और दाहिनी आर्टरी में 2 स्टेंट लगाए। कैल्सीफाइड और टोर्टुओस एनाटॉमी के कारण स्टेंट देना मुश्किल था। गाइडलाइनर (मां और बच्चे वाली तकनीक) का सफलतापूर्वक उपयोग किया गया। सफल प्रक्रिया के बाद उनकी दिल की धड़कन सामान्य हो गई और अस्थायी पेसिंग वायर भी हटा दिया गया। मरीज को 2 से 3 दिनों में पूरी तरह से ठीक होने के बाद हॉस्पिटल से छुट्टी दे दी गई।