जब हम छोटे थे तो हमारी सुबह मोबाइल या घड़ी के अलार्म से नहीं होती थी. सुबह-सुबह चिड़ियों की चहचहाट से पूरा वातावरण गूंज उठता था और न चाहते हुए भी हम आंखें मिचते हुए उठते थे. स्कूल में लंच टाइम में भी कौवे और अन्य परिंदों की भी नज़र बचे-कुचे खाने की तरफ़ होती थी. एक चिड़िया थी जिसकी आवाज़ से हम सभी परिचित हैं, वो है गौरैया. एक ऐसी चिड़िया जिसके साथ हम सभी की असंख्य यादें जुड़ी हुई हैं लेकिन वो अब दिखती ही नहीं. हमारे विकास की योजनाओं की भेंट चढ़ चुकी है गौरैया. गौरैया के संरक्षण के लिए बहुत से लोग दिन-रात मेहनत कर रहे हैं.
गौरैया के नाम की स्मृति-पट्टिका
किसी इंसान के चले जाने पर हम उसकी याद में स्मृति-पट्टिका बनवाते हैं. कई धार्मिक स्थलों पर और अन्य इमारतों पर आपने आपने स्मृति-पट्टिका देखी होगी. सुनने में बुरा लग सकता है लेकिन हम इंसानों की जान की ज़्यादा कीमत है, पशु-पक्षियों की कम. रास्ते में चलते हुए अगर कोई मरा हुआ पक्षी दिख जाए तो ज़्यादातर लोग अनदेखा कर देते हैं.
किसी अपने को खोने पर हम स्मृति-पट्टिका बनवाते हैं.
अहमदाबाद में दुनिया की इकलौती स्मृति-पट्टिका है जो एक परिंदे की याद में बनवाई गई थी.
IFS ने शेयर की फ़ोटो
IFS परवीन कासवान पशु और पक्षियों से जुड़े फ़ैक्ट्स, उनकी तस्वीरें और वीडियोज़ शेयर करते रहते हैं. एक ट्वीट में IFS ने बताया कि भारत में एक गौरैया के नाम पर स्मृति पट्टिका बनवाई गई थी.
ट्वीट में IFS ने लिखा, ‘आज विश्व गौरैया दिवस है. जिसके गीत धूमिल होते जा रहे हैं. एक अनोखी बात शेयर कर रहा हूं. अहमदाबाद में गौरैया की याद में स्मृति-पट्टिका बनाई गई थी.’
स्मृति पट्टिका के अनुसार 2 मार्च, 1974 में रोटी रामखान में पुलिसिया फ़ायरिंग में एक निर्दोष गौरैया की मौत हो गई थी. लोगों ने उसी की याद में स्मृति-पट्टिका बनवाई. पालतू जानवरों की याद में भी लोग कुछ न कुछ स्मृति चिह्न बनवाते हैं. ऐसा पहली बार देखने को मिला जब एक अनजान परिंदें को इतना सम्मान दिया गया.
लोगों की प्रतिक्रिया
ट्वीट पर 1.2 हज़ार से ज़्यादा लाइक्स आए हैं. लोगों ने तस्वीर पर अलग-अलग प्रतिक्रियाएं दी.