World T20: 22 साल के रवि बिश्नोई पर कैसे भारी पड़ गए 35 वर्षीय अश्विन, समझें इंडियन टीम के सिलेक्शन की बारीकियां

Ravichandran Ashwin vs Ravi Bishnoi: ऑस्ट्रेलिया में अगले महीने से शुरू होने जा रहे वर्ल्ड टी-20 के लिए चुनी गई भारतीय टीम में कई खिलाड़ियों के सिलेक्शन पर जमकर बहस जारी है। रविचंद्रन अश्विन भी उन्हीं में से एक हैं।

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World T20: 22 साल के रवि बिश्नोई पर कैसे भारी पड़ गए 35 वर्षीय अश्विन, समझें इंडियन टीम के सिलेक्शन की बारीकियां

नई दिल्ली: एशिया कप के अधिकतर मुकाबलों में बेंच पर बैठने वाले अश्विन टी-20 वर्ल्ड कप स्क्वॉड में शामिल किए गए हैं। 16 अक्टूबर से शुरू हो रहे टूर्नामेंट में भारत 15 प्लेयर्स के साथ जा रहा है। चार खिलाड़ी बैकअप में हैं। इधर सोशल मीडिया पर कई प्लेयर्स के नाम पर जमकर बहस हो रही है। अश्विन भी उन्हीं में से एक हैं।

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कई सवाल, कई जवाब

फैंस युवा लेग स्पिनर रवि बिश्नोई की जगह अनुभवी ऑफ स्पिनर रविचंद्रन अश्विन के चयन पर सवाल खड़े कर रहे हैं। वैसे भी इस साल यानी 2022 में हुए 26 टी-20 इंटरनेशनल में से सिर्फ 5 मैच में ही उन्हें प्लेइंग इलेवन में जगह मिली। ऐसे में पूछ रहे हैं कि 22 साल के लड़के की जगह 35 साल के आदमी को टीम में क्यों रखा?

​अनुभव की रेस में जीत गए अश्विन

अश्विन ने भारत के लिए 56 टी-20 इंटरनेशनल मैच खेले हैं। रवि बिश्नोई के पास सिर्फ 10 मैच का अनुभव है। अश्विन ने जून 2010 में जिम्बाब्वे के खिलाफ पहला मैच खेला था। अश्विन 2012, 2014, 2016 और 2021 टी-20 वर्ल्ड कप में भी खेल चुके हैं। मतलब दुनिया की हर पिच पर अलग-अलग हालातों में उन्हें खेलने का अनुभव है। प्रेशर वाले हालातों में गेम चलाना जानते हैं। ऑस्ट्रेलियाई पिचों में अश्विन भारतीय टीम के काफी काम आ सकते हैं।

​ऑफ स्पिन के महारथी

टीम में युजवेंद्र चहल के रूप में एक बेहतरीन लेग ब्रेक बॉलर है। अश्विन अपनी ऑफ ब्रेक से न सिर्फ वैराइटी देंगे बल्कि विरोधी बल्लेबाजों को रिदम और क्रीज पर सेट भी नहीं होने देंगे। अश्विन बॉलिंग में विविधता के लिए भी पहचाने जाते हैं। एक ओवर में पूरी 6 गेदें अलग-अलग तरीके से फेंक सकते हैं। बीच-बीच में कैरम बॉल भी फेंकते रहते हैं। रोहित शर्मा, रनरेट धीमा करने के लिए अश्विन को बतौर डिफेंसिव बॉलर भी इस्तेमाल कर सकते हैं। अश्विन एक टाइट इकॉनमी स्पिनर हैं। दूसरी ओर चहल एक विकेटटेकर बॉलर हैं। भले ही वह रन देते हैं, लेकिन विकेट निकालना जानते हैं। दोनों की जोड़ी से वर्ल़्ड कप में भारत को काफी उम्मीदें हैं। दूसरी ओर रवि बिश्नोई भी चहल की ही तरह लेग ब्रेक बॉलिंग करते हैं। ऐसे में एक ही स्टाइल के दो स्पिनर्स को प्लेइंग इलेवन में शामिल करने का कोई तुक नहीं बनता।

​कप्तानों के भरोसेमंद विकल्प

इस बात में कोई संदेह नहीं कि 2017 के बाद चहल और कुलदीप के आने से अश्विन बिना कोई गलती किए ही टी-20 स्कीम से बाहर कर दिए गए थे। शॉर्ट फॉर्मेट में ‘कुलचा’ और रविंद्र जडेजा ही टी-20 टीम में पहली पसंद बन चुके थे। मगर कुलदीप यादव के गिरते प्रदर्शन ने एकबार फिर अश्विन के लिए टीम के दोबारा दरवाजे खोल दिए। बीते साल टी-20 वर्ल्ड कप से उनकी टीम इंडिया में लंबे समय बाद वापसी हुई। अश्विन ने यूएई में बढ़िया खेल दिखाया था। सिर्फ 3 मैच ही खेले, लेकिन 10.50 की शानदार औसत से 6 विकेट चटकाए। इकॉनमी भी 5.25 की रही। मेन इन ब्लूज इस बार भी उनसे वैसा ही खेल चाह रहा है। 2021 से अबतक खेले अपने पिछले 10 टी-20 इंटरनेशनल में रविचंद्रन ने 14 शिकार किए हैं।

बल्ले के साथ X फैक्टर

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अश्विन की बल्लेबाजी भी अच्छी है। बड़े शॉट लगाने की ताकत रखते हैं। समझदारी से बल्लेबाजी करते हैं। तकनीक भी अच्छी है। टी-20 फॉर्मेट में वह 32.20 की बढ़िया एवरेज से 161 रन बना चुके हैं। इस साल तीन बार उन्हें बल्लेबाजी का मौका मिला। जहां 165.21 की स्ट्राइक रेट से 38 रन जुटाए। आईपीएल 2022 में तो राजस्थान रॉयल्स उन्हें फ्लोटर की तरह इस्तेमाल करती है। इस भरोसे को उन्होंने कायम भी रखा। 141.48 की बब्बर एवरेज से 191 रन कूटे। चोटिल रविंद्र जडेजा की गैरमौजूदगी में अश्विन लोअर मिडिल ऑर्डर को मजबूती देंगे। वर्ल्ड कप के लिहाज से बॉलिंग के साथ-साथ जमकर बैटिंग प्रैक्टिस भी कर रहे हैं।

​टी-20 विश्व कप के लिए भारतीय टीम

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रोहित शर्मा (कप्तान), लोकेश राहुल (उप-कप्तान), विराट कोहली, सूर्यकुमार यादव, दीपक हुड्डा, ऋषभ पंत (विकेटकीपर), दिनेश कार्तिक (विकेटकीपर), हार्दिक पंड्या, रविचंद्रन अश्विन, युजवेंद्र चहल, अक्षर पटेल, जसप्रीत बुमराह, भुवनेश्वर कुमार, हर्षल पटेल, अर्शदीप सिंह। स्टैंड-बाय खिलाड़ी – मोहम्मद शमी, श्रेयस अय्यर, रवि बिश्नोई, दीपक चाहर।