थायरॉइड गर्दन के पास तितली के आकार की एक ग्रंथि (ग्लैंड) होती है. भारत में हर 10 में से एक शख़्स थायरॉइड की समस्या से जूझ रहा है. 2021 के आंकड़ों के अनुसार, भारत में क़रीब 4.2 करोड़ थायरॉइड के मरीज़ हैं.
थायरॉइड के साथ सबसे बड़ी दिक़्क़त ये है कि क़रीब एक तिहाई लोगों को पता ही नहीं होता कि वे इससे पीड़ित हैं. वैसे यह बीमारी महिलाओं में ज़्यादा पाई जाती है. गर्भावस्था और डिलिवरी के पहले तीन महीनों के दौरान, क़रीब 44 फ़ीसदी महिलाओं में थायरॉइड की समस्या पनप जाती है.
आंध्र प्रदेश के गुंटूर के मशहूर एंडोक्राइनोलॉजिस्ट डॉ बेल्लम भरणी ने इस बारे में बीबीसी से बातचीत की. उन्होंने बताया, ‘यह ग्रंथि दिल, दिमाग़ और शरीर के दूसरे अंगों को सही तरीक़े से चलाने वाले हॉर्मोन पैदा करता है. यह शरीर को ऊर्जा का उपयोग करने में सक्षम बनाता है और उसे गर्म रखता है.’
वो कहते हैं, ‘एक तरह से यह ग्रंथि शरीर की बैटरी की तरह काम करती है. यदि यह ग्रंथि कम या ज़्यादा हार्मोन छोड़ती है, तो थायरॉइड के लक्षण दिखाई देने लगते हैं.’
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थायरॉइड ग्रंथि जब शरीर के लिए पर्याप्त हार्मोन पैदा नहीं कर पाती, तो इसे ‘हाइपो-थायरॉइडिज़्म’ कहा जाता है. यह उस खिलौने जैसा मामला है, जिसकी बैटरी ख़त्म हो गई हो. और तब शरीर पहले जैसा सक्रिय नहीं रहता और इसके रोगी जल्दी थक जाते हैं.