World Tourism Day 2022: आने वाली छुट्टियों में करें कूनो नेशनल पार्क की यात्रा, जहां रखें गए हैं 8 चीतें

पूरी दुनिया में 27 सितंबर को विश्‍व पर्यटन दिवस मनाया जाता है। इस विश्‍व पर्यटन दिवस पर हम आपको कूनो नेशनल पार्क की सैर कराते हैं। यह वही नेशनल पार्क है, जहां नामिबिया से 8 चीतों को लाकर रखा गया है। इनमें से 5 नर और 3 मादा चीते हैं।

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World Tourism Day 2022: आने वाली छुट्टियों में करें कूनो नेशनल पार्क की यात्रा, जहां रखें गए हैं 8 चीतें

पिछले दिनों कूनो नेशनल पार्क की खूब चर्चा रही। कूनो का नाम हम सभी ने किताबों में ही पढ़ा था, लेकिन पिछले कई सालों से किसी ने इसका जिक्र तक नहीं किया। पर्यटकों के बीच भी यह‍ जगह कभी इतनी पॉपुलर नहीं रही। लेकिन पिछले दिनों नामीबिया से चीतों को लाने के बाद कूनो पर्यटकों की पहली पसंद बन गया है। भारत में लगातार कम हो रही चीतों की संख्‍या को ध्‍यान में रखते हुए प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने चीतों को यहां लाने का फैसला किया। तब से कूनो नेशनल पार्क चर्चाओं में बना है और लोग यहां जाने के लिए उत्‍सुक हैं। इस पर्यटन दिवस पर हम आपको कूनो नेशनल पार्क की सैर कराते हैं। यह नेशनल पार्क मध्‍यप्रदेश के चंबल इलाके में स्थित है। यकीनन ही यह जगह वाइल्‍ड लाइफ को पसंद करने वालों के लिए बहुत अच्‍छी है। आप यहां जंगल का अनुभव लेने के साथ ही कई जानवरों को भी देख सकते हैं। जिनमें अब चीते भी शामिल हो गए हैं।

(फोटो साभार : Economic Times)

1981 में शुरू हुआ था कूनो नेशनल पार्क –

1981-

नेशनल पार्क 1981 में अधिसूचित किया गया था। यह मध्‍यप्रदेश के श्‍योपुर जिले में स्थित है। यह पार्क लगभग 900 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। जबकि पहले इसके लिए 344.68 वर्ग किमी का क्षेत्र निश्चित किया गया था। यहां कूनो नदी बहती है, जो न केवल क्षेत्र में पानी की कमी को पूरा करती है बल्कि जंगल को अंदर से सींचने में भी मदद करती है। इसी वजह से इस क्षेत्र का नाम कूनो पड़ा है।

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(फोटो साभार : Economic Times)

558 साल पुराना है कूनो का इतिहास –

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ऐसा माना जाता है कि साल 1564 में मुगल बादशाह अकबर ने शिवपुरी के पास एक जंगल में हाथियों के झुंड को पकड़ लिया था। लॉर्ड कर्जन कूनो के जंगलों से इतने डरे हुए थे कि उन्होंने इस जगह को शेरों के लिए एक आश्रय स्थल में बदलने का सुझाव दिया। हालांकि ग्वालियर के पहले सम्राट माधवराव सिंधिया ने कर्जन के इस सुझाव को हकीकत में बदलने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए। अंत में शिवपुरी के जंगलों में सिर्फ सात शेरों को छोड़ दिया गया, लेकिन मनुष्यों पर हमले की घटनाओं के कारण जंगल को शेरों का स्‍थल बनाने का सपना अधूरा रह गया।

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(फोटो साभार : TOI.com)

कई वन्‍यजीवों का घर है कूनो –

इसमें करधई, गुर्जन, खैर और कहुआ जैसे पेड़ों की प्रजातियां शामिल हैं। नीलगाय, सांभर, चित्तीदार हिरण, काला हिरण और चिंकारा जैसे शाकाहारी जानवर झुंड में घूमते हुए आसानी से देखे जा सकते हैं। जबकि तेंदुआ, सियार, लोमड़ी, लकड़बग्घा और भालू सहित मांसाहारी जानवर आपको ढूंढने पर ही मिलेंगे। इनके अलावा, आप मॉनिटर छिपकली और अजगर को देख सकते हैं। बर्डवॉचर्स को यहां दूरबीन ले जाने की सलाह दी जाती है। क्योंकि बयावीवर, बब्बलर, ट्री पाई, लैपविंग और किंग वल्चर जैसे पक्षी एक बड़ी संख्या है ।

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कूनो नेशनल पार्क जाने का सबसे अच्‍छा समय –

कुनो की यात्रा के लिए यह सबसे अच्छा समय अक्‍टूबर से फरवरी के बीच है। पार्क साल के इस समय के दौरान सबसे सुंदर लगता है।

(फोटो साभार : Economic Times)

कैसे पहुंचें कुनो नेशनल पार्क –

फ्लाइट से – कुनो पहुंचने के लिए करीबी एयरपोर्ट ग्वालियर एयरपोर्ट है, जो यहां से 175 किमी की दूरी पर है। यह एयरपोर्ट भारत के सभी बड़े शहरों से अच्छी तरह से कनेक्‍ट है। एयरपोर्ट से कुनो के लिए रेंट पर कारें आसानी से मिल जाती हैं।

ट्रेन से – कुनो-पालपुर पहुंचने के लिए करीबी रेलवे स्टेशन ग्वालियर रेलवे स्टेशन है जो 150 किमी की दूरी पर स्थित है। यहां से भी कुनो जाने के लिए रेंट पर कार बुक कर सकते हैं।

बस या कार से- बता दें कि कुनो ग्वालियर से 175 किमी की दूरी पर स्थित है। आप या तो एक कार किराए पर ले सकते हैं या अपनी खुद की कार ले सकते हैं। अपने डेस्‍टिनेशन तक पहुंचने के दौरान जगह की प्राकृतिक सुंदरता का आनंद ले सकते हैं। ग्वालियर से नियमित अंतराल पर कई बसें भी चलती हैं जो आपको कुनो-पालपुर तक ले जाएंगी।