भले ही लोगों में विमानयात्रा करने का चलन बढ़ा हो लेकिन इसके बावजूद आज भी अधिकतर लोग ट्रेन से यात्रा करना पसंद करते हैं. हालांकि कई लोग लंबे सफर के दौरान ट्रेन में बैठे बैठे थक जाते हैं लेकिन बहुत से लोग ऐसे भी हैं जिन्हें ट्रेन का लंबा सफर पसंद आता है. हमारे देश में सबसे लंबा ट्रेन सफर 80 घंटे यानी कि तीन दिन से ज्यादा का है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि दुनिया का सबसे लंबा रेल सफर कितने समय में पूरा होता है?
नहीं जानते तो चलिए इसका जवाब हम आपको बताते हैं:
इस सफर में लगता है 7 दिन से ज्यादा समय
World’s Longest Train Journey दो-चार दिन में पूरी नहीं होती, बल्कि इसके लिए लगते हैं पूरे 7 दिन 20 घंटे 25 मिनट. दुनिया का सबसे लंबा ये रेल सफर रूस के मॉस्को शहर से नॉर्थ कोरिया के प्योंगयांग शहर तक ते किया जाता है. रूस के मॉस्को से उत्तरी कोरिया के शहर प्योंगयांग तक का ये दुनिया का सबसे लंबा सफर 10,214 किलोमीटर का है.
16 नदियों और 87 शहरों से गुजरती है ये ट्रेन
इस सफर को ट्रांस-साइबेरियन ट्रेन पूरा करती है. दुनिया के इस सबसे लंबे रेल सफर पर जाने वाली ट्रेन 16 प्रमुख नदियों को पार करते हुए 87 शहरों से गुजरती है. जिन्हें ट्रेन का लंबा सफर उबाऊ लगता है उन्हें भी इस ट्रेन की ये सबसे लंबी यात्रा पसंद आ सकती है. इसका कारण ये है कि इस दौरान खूबसूरत प्राकृतिक नजारों का भरपूर आनंद लिया जा सकता है.
1916 में शुरू हुआ ट्रांस-साइबेरियन रेलवे, यात्रियों को मास्को से रूस के ही व्लादिवोस्तोक तक की यात्रा भी कराता है. यह रूट दुनिया का दूसरा सबसे लंबा रेल रूट है. इस रूट पर चलने वाली ट्रेन पहाड़ों और जंगलों से होकर गुजरती है. नॉर्थ कोरिया से रूस के मास्को जाने वाले यात्रियों को एक ट्रेन कार द्वारा रूस के व्लादिवोस्तोक तक लाया जाता है. जिसके बाद व्लादिवोस्तोक से ये ट्रेन कार मास्को के लिए जाने वाली ट्रेन के पीछे जुड़ जाती है.
ऐसे तय होती है ये यात्रा
इसमें सबसे खास बात ये है कि सवारियां जब प्योंगयांग से एक बार ट्रेन कार में सवार हो जाती हैं तो उन्हें कहीं भी अपना कोच बदलने की जरूरत नहीं पड़ती. ये ट्रेन कार ट्रेन के पीछे जुड़ जाती है और यात्री उसी में बैठे रहते हैं. यह ट्रेन महीने में दो बार नार्थ कोरिया से रूस का सफर ते करती है.
वहीं, चार ट्रेनें हैं जो हर महीने रूस से प्योंगयांग का सफर तय करती हैं. मास्को से चली ट्रेन प्योंगयांग तक नहीं जाती. असल में प्योंगयांग जाने वाले ट्रेन के डिब्बों को नॉर्थ कोरिया के तुमांनगेन स्टेशन तक ट्रेन तक लाया जाता है. यहां से आगे ये डिब्बे अन्य ट्रेन के पीछे जोड़ दिए जाते हैं जो प्योंगयांग जाती है.