वाह! सरकारी स्कूल के टीचर का कमाल, अपने वेतन के पैसे से बदल दी तस्वीर

सुविधाएं मिलने के बाद अब बच्चे खुशी-खुशी स्कूल आ रहे हैं.

सुविधाएं मिलने के बाद अब बच्चे खुशी-खुशी स्कूल आ रहे हैं.

मध्य प्रदेश में राजगढ़ जिला मुख्यालय से 50 किलोमीटर दूर टूटियाहेड़ी में स्थित शासकीय माध्यमिक स्कूल की तस्वीर वहां पढ़ाने वाली टीचर ने ही बदल डाली है. इस टीचर ने खुद का वेतन खर्च कर और कुछ जन सहयोग लेकर स्कूल को बेहतर कर दिया है.

टूटियाहेडी शासकीय माध्यमिक स्कूल में पहले 33 बच्चे आते थे, अब करीब 59 बच्चे पढ़ते हैं. यहां पर बिजली कनेक्शन, फर्नीचर और स्मार्ट क्लास आदि की व्यवस्था नहीं होने के चलते बच्चे बहुत कम संख्या में स्कूल आते थे. कई अभिभावक स्कूल में सुविधा नहीं मिलने के कारण अपने बच्चों का दाखिला भी नहीं कराते थे और प्राइवेट स्कूल में पढ़ाते थे.

इस समस्या के कारण यहां पदस्थ शिक्षक ओम प्रकाश जायसवाल मायूस थे. एक दिन उन्होंने स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों से कहा कि अगर पंखे-लाइट, फर्नीचर और खेल का मैदान यहां भी हो, तो रोज स्कूल पढ़ने आओगे. तब बच्चों ने कहा कि अगर ऐसा हो जाए, तो वे खुशी-खुशी बिना कहे स्कूल पढ़ने आएंगे.

फिर क्या था, शिक्षक ओम प्रकाश जायसवाल ने और ग्रामीण के सहयोग से अपने वेतन की राशि खर्च कर स्कूल की कक्षाओं को डिजिटल कक्षा में बदल दिया. बच्चों के बैठने के लिए कक्षा में नया फर्नीचर लगवाया. साफ-सफाई का खुद ही ध्यान रखा. स्कूल में आए बदलाव से बच्चे खुश हो गए और रोजाना स्कूल आना सीख गए.

इसके बाद स्कूल की दीवारों पर सामान्य जानकारी लिखवाई गईं, जिसे बच्चे प्रतिदिन देखकर पढ़ते हैं और उन्हें अब यह भी पता है कि भारत के राष्ट्रपति कौन हैं और कौन प्रधानमंत्री हैं. इसके अलावा शरीर के कितने प्रमुख अंग होते हैं, इसकी भी जानकारी दीवार पर अंकित की गई है. स्कूल के कायाकल्प के लिए सहायक शिक्षक ने करीब 35 से 40 हजार रुपए अपने वेतन से खर्च किए हैं.

प्ले ग्राउंड बनाकर कराई तार-फेंसिंग
स्कूल परिसर में खेल के मैदान की व्यवस्था नहीं थी. बच्चे स्कूल में खेल भी नहीं पाते थे. शिक्षक ने स्कूल में प्ले ग्रांउड बनवाया और चारों ओर तार फेंसिंग कराई, जिससे आवारा पशु स्कूल परिसर में न घुसें. स्कूल सुंदर दिखे, इसके लिए चारों ओर पौधे लगाए गए हैं.

प्रशासनिक अधिकारी कर चुके हैं सम्मानित
स्कूल में सुविधाएं उपलब्ध कराने की सूचना जब एडीएम कमल चंद नागर को लगी तो वह स्वयं ही वहां पहुंचे और व्यवस्थाएं देखीं और बच्चों से बात की. बच्चों ने भी उनसे कहा कि हमारा स्कूल किसी प्राइवेट स्कूल से कम नहीं है. इसके चलते एडीएम की ओर से उन्हें 15 अगस्त को प्रशस्ति-पत्र देकर शिक्षक ओम प्रकाश जायसवाल को सम्मानित भी किया.

ओम प्रकाश जायसवाल का कहना है कि सरकारी स्कूल में अधिकतर गरीब बच्चे आते हैं, लेकिन सुविधाएं नहीं होने के चलते बच्चों की संख्या कम हो गई थी. जब बच्चों से मैंने पूछा, तो उन्होंने बताया कि यहां पर बिजली, फर्नीचर नहीं है. तब मुझे ख्याल आया कि सरकार हम शिक्षकों को अच्छी सैलरी देती है तो क्यों न वेतन का कुछ हिस्सा इन बच्चों के नाम कर दिया जाए. इसके बाद स्कूल का कायाकल्प किया गया और बच्चों के लिए सुविधाएं मुहैया कराई गईं. अब बच्चे खुश हैं और रोजाना स्कूल आते हैं.