Xi Jinping China Army: शी जिनपिंग तीसरी बार चीन की सत्ता में आए हैं। चीन की सत्ता में वापसी के बाद अब शी जिनपिंग अपनी सेना को मजबूत बनाने में लगे हैं। शी जिनपिंग ने अपनी सेना को 2027 तक ताकत बढ़ाने का लक्ष्य दिया है। माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में चीन और ताइवान का संघर्ष बढ़ेगा।
बीजिंग: चीन में तीसरी बार शी जिपिंग सत्ता में आए हैं। सत्ता में आने के बाद जिनपिंग ने सेना से अपनी ताकत बढ़ाने और 2027 तक लक्ष्यों की प्राप्ति का आग्रह किया है। 2027 को खास तौर पर इस लिए चुना गया है क्योंकि इस साल पीपुल्स लिपरेशन आर्मी (PLA) के 100 साल होंगे। मलेशिया द स्टार ने एक चीनी न्यूज पोर्टल के हवाले से कहा कि शी ने 20वीं कम्युनिस्ट पार्टी कांग्रेस को एक रिपोर्ट दी है, जिसमें जिनपिंग ने चीनी सेना को अपना मिशन पूरा करने और सेना को एक विश्व स्तरीय बल बनाने पर जोर दिया है।
कांग्रेस के खत्म होने के बाद अधिकारियों के साथ अपनी पहली बैठक में जिनपिंग ने कहा कि 2027 तक इस टार्गेट को पाने के लिए कोई कसर नहीं छोड़नी है। जिनपिंग की ये टिप्पणी इसलिए भी महत्व रखती है, क्योंकि वह केंद्रीय सैन्य आयोग के अध्यक्ष भी हैं। इतना ही नहीं, शी जिनपिंग के भाषण में सशस्त्र बलों के लिए एक महत्वपूर्ण संदेश भी था, जहां उन्होंने कहा कि सभी सदस्यों को सेना को मजबूत करने पर पार्टी के विचारों की पूरी समझ होनी चाहिए।
विश्वस्तरीय सेना बनाने को कहा
जिनपिंग ने पार्टी के विचार का ध्यानपूर्वक अध्ययन करने और विश्वस्तरीय सेना बनाने के लिए अपने अंदर बदलाव करने को कहा है। उन्होंने जोर देकर कहा, ‘कमांडरों, अधिकारियों और सैनिकों को शताब्दी लक्ष्यों को पूरा करने में योगदान देने के लिए कड़ी मेहनत करनी चाहिए।’ 20वीं कांग्रेस समिति के पहले पूर्ण सत्र में नए केंद्रीय सैन्य आयोग के सदस्यों का चयन किया गया। शी ने सभी सैन्य इकाइयों को केंद्रीय सैन्य आयोग की वार्षिक योजना का सख्ती से पालन करने का आदेश दिया।
ताइवान को लेकर बढ़ेगा विवाद
कुछ महीनों पहले ही अमेरिकी कांग्रेस की स्पीकर नैंसी पेलोसी ने ताइवान की यात्रा की थी। उनकी यात्रा के बाद चीन लगातार आक्रामक है। जिनपिंग अब तीसरी बार राष्ट्रपति बन गए हैं, ऐसे में उम्मीद है कि आने वाले समय में ताइवान को लेकर तनाव बढ़ेगा ही। तीसरी बार राष्ट्रपति बनने पर जिनपिंग ने कहा कि हम चीनी राष्ट्र के समग्र हितों की रक्षा करेंगे। ताइवान स्वतंत्रता का विरोध और पुनर्मिलन को बढ़ावा देंगे। ताइवान एक ऐसा प्रश्न है, जिसे चीनी लोगों को हल करना है।