राजा वीरभद्र सिंह ने ज़मीन के साथ जुड़ कर राज किया। गरीबों के लिए वह किसी मसीहा से कम नहीं थे। हिमाचल को अलग पहचान दिलाने में उनकी अहम भूमिका रही। वह जो कार्य करने की ठान लेते थे वह उस कार्य को हर हालत में पूरा करते थे। राजा वीरभद्र सिंह सकारात्मक राजनीति में विश्वास करते थे। यही वजह रही कि वह आज जन नायक के रूप में जाने जा रहे है। उनकी अंतिम यात्रा में सभी राजनीतिक सीमाएं टूट चुकी है। सभी दलों के नेता और कार्यकर्ता उनका आशीर्वाद ले रहे हैं। यह कहना है भाजपा के वरिष्ट नेता पूर्व ट्रांसपोर्ट मंत्री महेंद्र नाथ सोफत का।
महेंद्र नाथ सोफत ने कहा कि वीरभद्र सिंह सच में एक राजा थे लेकिन वह ज़मीन से जुडी हुई राजनीति करते थे। गरीब जनता की सेवा करना उनका पहला लक्ष्य है। उन्होंने कहा कि यशवंत सिंह परमार को हिमाचल निर्माता के नाम से जाना जाता है तो वीरभद्र सिंह प्रदेश को विकसित करने के लिए जाने जाएंगे। उन्होंने शिक्षा और स्वास्थ्य के लिए जो कार्य किया है वह प्रदेश भूल नहीं पाएगा। उन्होंने कहा कि उनके जाने से उनके परिवार ,कांग्रेस ,प्रदेश और देश सभी को बेहद हानि हुई है उस हानि को पूरा नहीं किया जा सकता। वहीँ प्रदेश का विकास उनके द्वारा दबंगता से किया गया। उनकी कही बात अधिकारियों के लिए पत्थर की लकीर थी। अफसरशाही पर उनकी अच्छी पकड़ होने के कारण कभी भी विकास कार्य नहीं रुक पाए। उन्होंने कहा कि वीरभद्र सिंह ने निजी करण को कभी बढ़ावा नहीं दिया। आज की पीड़ी के नेताओं को उनसे सीख लेने की आवश्यकता है क्योंकि राजा वीरभद्र सिंह पर कोई भी अफसरशाही हावी नहीं हो सकी। वह जो चाहते थे अधिकारिओं को उनकी बात माननी पड़ती थे। अधिकारी उन पर कभी भी दवाब बनाने में कामयाब नहीं हो पाए। उनसे सीख मिलती है कि जो नेता चुन कर आता है उस की इच्छा शक्ति पर अफसर शक्ति हावी नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कई ऐसी योजनाएं चलाई जिसे देख कर बाद में केंद्र सरकार ने वह योजनाएं चलाई। इस लिए वह उन्हें विज़नरी नेता मानते है।