#YeKhayaKya: UP की चंद्रपति ने बताया पेड़ा सिर्फ मीठा नहीं है, ये नाती-पोतों का फेवरेट स्वीट है

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इंडियाटाइम्स हिंदी ने खाने को लेकर एक ख़ास सीरीज़ शुरू की है, Ye Khaya Kya? इस सीरीज़ का मकसद ऐसी रेसिपीज़ के बारे में बात करना है, जिन्हें लोग धीरे-धीरे या तो भूल रहे हैं या भूल चुके हैं. कोशिश ये भी रहेगी कि उन लोगों के ज़रिए इन्हें सामने लाए, जो इन्हें अपने किचन में बना रही हैं. आज हम लेकर आए हैं ‘पेड़ा’. 

आज के समय में कई फैंसी और टेस्टी मिठाइयां आ चुकी हैं, लेकिन जो बात घर के बने ‘पेड़ों’ में हैं, वो बात किसी दूसरी मिठाई में कहा. हम सबकी नानी और दादी पेड़ों को बनाने में माहिर हैं. उनके हाथ के पेड़े मतलब स्वाद की पक्की गारंटी. अब जब इस मिठाई के साथ सबकी यादें इतनी मीठी हैं तो हमने सोचा कि क्यों ने इसके बारे में अधिक जाना जाए.  इस ख्याल के साथ हमने पूर्वी उत्तर प्रदेश से ही ताल्लुक रखने वाली चंद्रपति से संपर्क किया और उन्होंने हमें ‘पेड़ा’ को लेकर जो कुछ भी बताया वो हम यहां आपके लिए लेकर आए है:

पेड़ा सिर्फ मिठाई नहीं, ये एक भाव है

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चंद्रपति कहती हैं कि गांव के घर में बनाये गए पेड़े सबसे टेस्टी होते हैं. मैंने इसे पहले अपने बच्चों के के लिए बनाया और अब नाती-पोते भी लिस्ट में ऐड हो गए हैं. मुझे अपने बच्चों के लिए इस मिठाई को बनने में बहुत ख़ुशी होती है. लोग हंसी उड़ाते हैं, लेकिन मैं इन्हें बनाते हुए ईश्वर का नाम लेती रहती हूं, ताकि मेरे बच्चों और नाती-पोतों को सद्बुद्धि मिले. मेरी मां भी ऐसे ही किया करती थी.

मेरी बेटी ने तो पेड़े बनाने में कभी कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई. इसीलिए लगता है कि मेरे घर में ये मिठाई कहीं विलुप्त न हो जाए. खैर, इसे बनाना बहुत आसान है और इस मिठाई से धार्मिक भाव भी जुड़े हैं. जन्माष्टमी के दिन तो खासतौर पर इसे बनाया जाता है. यूं तो इसे लेकर कई कहानियां प्रचलित है, लेकिन किस्से-कहानियों के झरोखे से जाने तो इसमें मां यशोदा का किरदार अहम है.

माना जाता है कि भगवान कृष्ण की मां यशोदा ने दूध को उबालने के लिए रखा था, वो इसे रखकर भूल गईं. दूध जलकर बहुत ही गाढ़ा हो गया. इसके बाद उन्होंने उसमें बूरा मिलाकर पेड़े बना दिए और कृष्ण को दिया और उन्हें ये बहुत स्वादिष्ट लगे. इसके बाद मथुरा में पेड़े बनाए जाने लगे और आज भी वहां के पेड़े बहुत मशहूर हैं.

इस खास पेड़े को मिल चुका है GI टैग

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महामारी के चलते उत्तर प्रदेश के एक परिवार ने 18वीं-19वीं शताब्दी के दौरान दक्षिण भारत में पलायन किया और वहां जाकर अपने ख़ास पेड़े बनाकर बेचने शुरू किये. ये पेड़े ज़बरदस्त हिट हुए और लोगों में इसे खरीदने के लिए लम्बी लाइन भी लगने लगी. साल 2007 में इसे GI दिया गया. ये धारवाड़ पेड़े के नाम से जाने जाते हैं.

उत्तर प्रदेश के उन्नाव के रहने वाली ठाकुर फैमिली धारवाड़ (अब कर्नाटक) पलायन किया.गुजर-बसर के लिए राम रतन सिंह पेड़ा बनाना शुरू किया और अपनी दुकान पर बेचते हैं. उनके बाद उनके पोते इस काम को बढ़ाते हैं. ये पेड़े एक ही परिवार बनाता है, जो ठाकुर पेड़े और बाबूसिंह ठाकुर पेड़े नाम से मशहूर है. ये एक सीक्रेट सामग्री से बने पेड़े हैं, जो एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक पहुंचाए जा रहे है.

कैसे बनते हैं स्वाद से भरपूर पेड़े?

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पेड़े बनाने के लिए सबसे धीमी आंच पर घी डालकर गरम करें. इसके बाद खोया डालकर लगातार भूनते रहें. जब खोये का रंग गोल्डन होना शुरू हो जाए इसमें हल्की चीनी डालें और अच्छी तरह से मिला दें और गैस बंद कर दें. इसके बाद उसे एक एनी बर्तन में खाली कर लें और उसमें बूरा और  इलाइची पाउडर डालकर अच्छे से मिला लें. इसके बाद इस मिक्सचर के लड्डू बना लें और हलक से हाथ से दबाकर चपटा कर लें. बस यह अब खाने के लिए तैयार है. अब अपनों के साथ बैठकर आप इनका आनंद ले सकते हैं.

स्वादिष्ट पेड़े बनाने के लिए सामग्री

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  • खोया
  • घी
  • चीनी
  • बूरा
  • इलाइची

चॉकलेट, काजू पेड़ों ने भी दी बाजार में धमक

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चंद्रपति कहती हैं अगर आपको चॉकलेट पसंद है और पेड़े का स्वाद भी आपको खूब भाता है, तो एक मिठाई है जो इन दोनों का आनंद दे सकती है. वो है चॉकलेट पेड़ा. इसके अलावा, काजू पेड़ा, केसर पेड़ा, नारियल पेड़ा, केसर-पिस्ता पेड़ा आदि. इस तरह लोगों ने अलग-अलग तरह से अपने फ्लेवर ऐड करके इसमें अपना टेस्ट ऐड किया. इसके बाद एक अलग ही किस्म का स्वाद मिला. तो देखा, आपने एक मिठाई के कितने रूप हो सकते हैं. लेकिन मुझे तो घर का पेड़ाही सबसे बेस्ट लगता है. मेरी आंखें तब चमकती हैं, जब बच्चे कहते हैं..पेड़ा खाना है, वो भी मेरे हाथ का.