बिहार की राजनीति में इन दिनों जो एक रिश्ता सुर्खियों में है, वो है चाचा-भतीजे का। जी हां, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और डेप्यूटी सीएम तेजस्वी यादव। इन दिनों दोनों की जोड़ी सोशल मीडिया से लेकर आम लोगों की चर्चाओं के बीच पॉपुलर है। नीतीश कुमार सार्वजनिक रूप से ऐलान कर चुके हैं कि तेजस्वी यादव बिहार की कमान संभालेंगे। इस बीच दोनों के बीच एक खाली कुर्सी वाली तस्वीर आई है। आइए समझते हैं, चाचा-भतीजे के बीच रखी हुई खाली कुर्सी का मतलब?
पटना : ‘इतना तो हम लोग काम कर ही रहे हैं और बाकी जो आगे जो कुछ होगा, उसे तेजस्वी यादव आगे पूरा करते रहेंगे और करवाते रहेंगे’। बिहार के मुख्यमंत्री ने नालंदा में एक कार्यक्रम के दौरान तेजस्वी की ओर इशारा करके ये कहा। उसके दूसरे दिन बिहार विधानसभा शीतकालीन सत्र की शुरुआत के दिन महागठबंधन विधायक दल की बैठक हुई। उस बैठक में नीतीश कुमार ने बकायदा ऐलान कर दिया कि 2025 में कमान तेजस्वी के हाथ में होगी। आपने एक बात गौर की होगी, नीतीश के इस बयान के बाद तेजस्वी के चेहरे पर वो खुशी नहीं देखी गई है, जो दिखनी चाहिए थी। सियासी जानकारों का मानना है कि तेजस्वी को 2025 से पहले कमान मिलने की उम्मीद थी। लेकिन, नीतीश कुमार खेल गए और 3 सालों के बाद तेजस्वी के हाथ में कमान देने की घोषणा की। खैर, उसके बाद चाचा-भतीजा सरदार बल्लभ भाई पटेल की पुण्यतिथि पर माल्यार्पण करने पहुंचे। वहां, बीच में एक कुर्सी खाली रही। दोनों दो किनारे बैठे।
कोरोना के बाद इतनी दूरी ?
कोरोना काल का दो गज दूरी और मास्क है जरूरी वाला नारा अब खत्म हो चुका है। अब लोग पास-पास बैठने लगे हैं। राजधानी पटना में चाचा-भतीजा के दूर-दूर बैठने की तस्वीर आने के बाद सियासी गलियारों में चर्चा का माहौल गरम है। कुछ लोग कह रहे हैं कि तेजस्वी यादव नीतीश कुमार की 2025 वाली घोषणा से खुश नहीं हैं। राजद कार्यकर्ता 2025 से पहले तेजस्वी को कमान मिलने की आस लगाये बैठे थे। नीतीश ने इसमें भांजी मार दी और तेजस्वी के ताज को 2025 तक के लिए टाल दिया। जानकारों की मानें, तो सरदार पटेल की पुण्यतिथि पर दिख रही चाचा-भतीजे की ये दूरी कहीं नीतीश की उस घोषणा का असर तो नहीं!
तस्वीर देखिए, चेहरा नहीं !
खैर, मामला चाहे जो भी हो, लेकिन आप तस्वीर को ध्यान से देख सकते हैं। चाचा-भतीजा के चेहरे की चमक गायब है। हो सकता है ये चमक छपरा में हुई जहीरीली शराब से मौतों की वजह से हो? ये भी हो सकता है कि नीतीश की पार्टी के नेताओं ने तेजस्वी को लेकर की गई घोषणा के बाद अपनी असहमति जाहिर की हो। जानकार मानते हैं कि जिस तरह हाल में नीतीश कुमार पूरी तरह तेजस्वी यादव को सियासी फिल्ड में प्रमोट करने में लगे हैं, उतना तो उनके पिता लालू यादव ने भी नहीं किया। नीतीश कुमार ने 24 घंटे के भीतर तीन बार ये सार्वजनिक रूप से घोषणा की और कहा कि बिहार में अब आने वाला काम तेजस्वी यादव ही देखेंगे।
दूर बैठने पर सवाल?
सरदार पटेल की पुण्यतिथि पर चाचा-भतीजा एक दूसरे से दूर क्या बैठे, उसके बाद चर्चाओं में कई बातें सामने आने लगी। कुछ लोग कह रहे हैं कि दोनों के चेहरे पर तनाव दिख रहा है। लोगों का कहना है कि सामान्यतया ऐसे कार्यक्रम में नीतीश कुमार तेजस्वी से और तेजस्वी यादव नीतीश कुमार से लगातार बातचीत करते हैं। सरदार पटेल वाले कार्यक्रम में ऐसा क्या हुआ कि दोनों नेताओं की कुर्सी दो तरफ लगा दी गई? हालांकि, जानकार मानते हैं कि ऐसा अधिकारियों की ओर से सीटिंग अरेंजमेंट किया गया होगा। दूर बैठने का दूसरा कोई कारण नहीं है। हालांकि, हम आपको आगे बताएंगे कि ये कुर्सी खाली क्यों है, लेकिन फिलहाल इस बात पर चर्चा जारी है कि चाचा-भतीजे में कहीं दूरी तो नहीं आ रही है?
राज्यपाल की कुर्सी
सरदार वल्लभ भाई पटेल की पुण्यतिथि पर राजकीय समारोह का आयोजन पटेल चौक, चितकोहरा पुल के निटक उनकी प्रतिमा प्रांगण में किया गया था। डेप्यूटी सीएम तेजस्वी यादव और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कार्यक्र में पहुंचे थे। इस कार्यक्रम में राज्यपाल को भी पहुंचना था। व्यवस्था देखने वाले अधिकारियों ने राज्यपाल की कुर्सी नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव के बीच में लगा दी। लगातार कई कार्यक्रमों में एक दूसरे के पास बैठने वाले दोनों नेता थोड़े दूर हो गए। इस कार्यक्रम में राज्यपाल फागू चौहान भी आमंत्रित थे, उनकी कुर्सी बीच में लगी थी। तस्वीर तब ली गई है, जब मुख्यमंत्री और डेप्यूटी सीएम कार्यक्रम में पहुंच चुके थे, लेकिन राज्यपाल अभी नहीं आए थे। बाद में कार्यक्रम में राज्यपाल पहुंचे और सभी लोगों ने सरदार पटेल की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि दी।