दिल्ली के चिड़ियाघर से अपना पसंदीदा जानवर गोद ले सकते हैं आप. जानिए कैसे और क्या है प्रोसेस

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अभी तक आप इंसान के बच्चों को गोद ले सकते थे. लेकिन, पशु प्रेमियों के लिए एक बड़ी ख़बर दिल्ली से आ रही है. अब कोई आम नागरिक, मशहूर हस्तियां, प्राइवेट कंपनियां और एजुकेशन संस्थान दिल्ली के चिड़िया घर में जानवरों को गोद ले सकती हैं.

बता दें कि इस योजना पर पिछले पांच वर्षों से काम चल रहा था, जिससे पशुओं को गोद लेकर वन्यजीव संरक्षण के प्रयासों को बढ़ावा मिल सके. अब इस योजना को शुरू कर दिया गया है. जिसके लिए इच्छुक व्यक्ति या संस्थान को कुछ प्रक्रियाओं से गुजरना होगा.

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क्या है जानवर गोद लेने का प्रोसेस ?

मिली जानकारी के मुताबिक, जो भी इच्छुक व्यक्ति या संस्थान दिल्ली के चिड़ियाघर से जानवर गोद लेना चाहता है उसे दिल्ली चिड़ियाघर की वेबसाइट पर इसके संबंध में उपलब्ध एक फॉर्म डाउनलोड करना होगा. जिसे भरकर प्रशासन को भेजना होगा. इसके बाद दोनों पक्षों के मध्य एक समझौते पर सहमति के बाद हस्ताक्षर किए जाएंगे.

इसके लिए अलग-अलग जानवरों के हिसाब से गोदी राशि जमा करनी होगी. एक जेब्रा फिंच पक्षी को गोद लेने के लिए 700 रुपए सलाना देने होंगे. वहीं हाथी, शेर और बाघ के लिए 6 लाख रुपए प्रति वर्ष खर्च करने होंगे. वहीं तेंदुए के लिए 3.6 लाख रुपए, और दरियाई घोड़े के लिए 2.4 लाख रुपए भुगतान करने होंगे. किसी भी जानवर की तय राशि जमा करने के बाद गोद लेने वाले को एक सदस्यता कार्ड उपलब्ध कराया जाएगा.

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गोद लेने की सदस्यता अवधि सफलतापूर्वक समाप्त होने के बाद चिड़ियाघर की तरफ से गोद लेने वाले को एक प्रमाण पत्र भी भेंट स्वरूप दिया जाएगा. वहीं सदस्यता कार्ड के द्वारा गोद लेने वाले परिवार के पांच सदस्यों को महीने में एक बार गोद लेने वाले जानवर से मिलने की इजाजत होगी. इसके साथ ही जो व्यक्ति या संस्थान उस जानवर को गोद लिए हुए होगा उसके बाड़े के सामने उस व्यक्ति का नाम या संस्थान का लोगो सांकेतिक रूप से अंकित होगा.

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इन चिड़ियाघरों में पहले चल रही है यह योजना

गुड न्यूज टुडे की एक रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली के चिड़ियाघर के निदेशक धर्मदेव राय ने बताया कि ऑयल इंडिया ने एक साल के लिए 6-6 लाख रुपए में दो गेंडे गोद लिए हैं. काफी तादाद में लोग हाथियों, साँपों और पक्षियों इत्यादि जानवरों को लेने के लिए इच्छा जाहिर की है. इससे जानवरों के लिए बेहतर सुविधा मुहैया कराने में मदद मिलेगी. लोगों में जागरूकता पैदा होगी.

गौरतलब है कि ऐसा कोई पहली बार नहीं हो रहा है. इससे पहले मैसूर चिड़ियाघर, कोलकाता जूलॉजिकल गार्डन, ओडिशा चिड़ियाघर, कर्नाटक, विशाखापत्तनम, नंदनकानन जैसे चिड़ियाघरों में इस योजना को सफलतापूर्वक लागू किया जा चुका है.