2022-10-23
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आरोपी रवि मीणा जिस महिला एजेंट से बात करता था उसने अपना नाम अंजलि तिवारी बताया था। अंजलि ने मीणा को बताया था कि वह भारतीय सेना में अधिकारी और पश्चिम बंगाल में तैनात है। जिसके बाद से आरोपी महिला को सेना के बारे में गोपनीय और रणनीतिक जानकारी सोशल मीडिया के माध्यम से साझा कर रहा था। इसके बदले में उसके बैंक खाते में रुपये भी जमा किए जा रहे थे। जेल में बंद आरोपी मीणा को अंजलि के पाकिस्तानी एजेंट होने के सबूत दिखाने के बाद भी उसे विश्वास नहीं हो रहा है कि महिला एक पाकिस्तानी एजेंट है।
प्रदीप रिया से इस कदर प्यार करने लगा था कि वह उससे शादी करना चाहता था। रिया ने वीडियो कॉल के जरिए प्रदीप को अपने परिवार से भी मिलवाया था। उसने अपनी बहन से भी रिया की बात कराई थी। जिसके बाद दोनों के बीच नजदीकियां बढ़ती गईं। प्रदीप अपने काम को लेकर भी उसके साथ बात करने लगा। जिसके बाद पाकिस्तानी एजेंट रिया ड्राफ्ट औरे दस्तावेज तैयार करने में उसकी मदद करने लगी। इसके बाद प्रदीप ने उसे दस्तावेजों, अभ्यास शासन और सैन्य इकाइयों की तस्वीरें भेजना शुरू कर दिया। पकड़े जाने के बाद भी प्रदीप को इस बात पर भरोसा नहीं हो रहा था कि रिया पाकिस्तानी एजेंट है।
हनी ट्रैपिंग सबसे पसंदीदा तरीका
एक अधिकारी ने बताया कि 2019 के बाद पाकिस्तानी महिला एजेंटों के लिए हनी ट्रैपिंग कर देश की खुफिया जानकारी प्राप्त करने का यह सबसे पसंदीदा तरीका बन गया है। यह एजेंट पहले मिस्ड कॉल देती हैं और फिर कॉल बैक के बाद बातचीत करती हैं या सोशल मीडिया के माध्यम से भी संपर्क करतीं हैं। इसके बाद हनी ट्रैप में फंसाने की प्रक्रिया शुरू होती है।
ये एजेंट कॉल, वीडियो कॉल और वॉयस चैट के जरिए व्यक्ति के साथ भावनात्मक रूप से करीब आती हैं। बाद में उन्हें बहकाने के लिए नग्न क्लिप और तस्वीरें साझा करती हैं। जिसके बाद सोशल मीडिया के माध्यम से गोपनीय जानकारी और दस्तावेज साझा करने का दबाव बनाती है। इसके लिए उन्हें धमकाया जाता है और रुपयों का भी लालच दिया जाता है।
उन्होंने यह भी बताया कि जुलाई महीने में भीलवाड़ा निवासी नारायण लाल गदरी (27) और जयपुर के रहने वाले कुलदीप सिंह शेखावत (24) को गिरफ्तार किया गया था। दोनों पर आरोप था कि उन्होंने पाकिस्तानी हैंडलरों को सिम कार्ड मुहैया कराए हैं। जिनका इस्तेमाल वह सोशल मीडिया अकाउंट चलाने के लिए करते थे। नारायण ने सिम माउंट आबू भेजा था, जहां से उसे दिल्ली, मुंबई और फिर दुबई भेज गया था। एक सिम के लिए उसे 3000 से 5000 हजार रुपये दिए जाते थे।
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