सोलन में युवा हो रहे डिप्रेशन का शिकार जिन्हें परिवार की केयर की है आवश्यकता : पारुल शर्मा

यह खबर उन माता पिता के लिए  बेहद ज़रूरी है जिनके बच्चे  10 वर्ष से लेकर 25 वर्ष तक की उम्र के बीच है।  क्योंकि इस उम्र के बच्चों से माता पिता को बेहद उम्मीदें है और वह  इन उम्मीदों को पूरा करने के लिए  अनजाने में बच्चों पर मानसिक दवाब बना  देते हैं।  जिसकी वजह से बच्चे डिप्रेशन में आ रहे है और उसके बाद वह आत्महत्या जैसे कदम भी उठाने में गुरेज नहीं करते।  यह जानकारी मनोरोग चिकित्सक पारुल शर्मा ने मीडिया को दी।  उन्होंने बताया कि बच्चों के डिप्रेशन में जाने के मुख्य तीन कारण है। यह तीन कारण आशाहीन , अकेलापन , महत्वहीनता  है।  जब बच्चों को यह तीनों बातें घेर लेती है तो वह आत्महत्यां जैसे कदम उठा लेते है।  यही कारण है कि सोलन में आत्महत्याओं के मामले लगातार बढ़ते जा रहे है।
मनोरोग चिकित्सक पारुल शर्मा ने  जानकारी देते हुए बताया कि  जब हम बच्चों से बहुत सी आशाएं रखते है और जब वह उस में असफल हो जाता है तो  बच्चा आशाहीन हो जाता है और  उसे लगता है कि वह कुछ नहीं कर सकता तो वह मानसिक दवाब की पहली  सीडी पर होता है।  उसके बाद वह अपने आप को अकेला महसूस करता है।  अगर उस समय कोई उसका साथ न दे तो वह मानसिक परेशानी की दूसरी स्टेज पर पहुंच जाता है।  उसके बाद उसे अनुभव होने लगता है कि समाज में उसका कोई महत्व नहीं है और उसे समाज द्वारा उसकी उपेक्षा की जा रही है तो वह तीसरी स्टेज पर पहुंच कर अपना जीवन तक समाप्त कर लेता है। इस लिए परिजनों को देखना चाहिए कि अगर उनका बच्चा अपने आप को पृथक कर रहा है उसके स्वभाव में चिड़चिड़ापन आ गया है तो  उसे परिवार की आवश्यकता है। अगर सही समय पर उसे परिवार का सहारा मिल जाता है तो वह डिप्रेशन से बाहर आ सकता है।