ओडिशा के बालासोर में हुए रेल हादसे ने पूरे देश को दहला दिया है. काल बनकर आए इस हादसे ने कई परिवार उजाड़ दिए. अब भी परिजन अपनों की तलाश में जुटे हुए हैं. किसी को अभी भी अपने किसी खास के जिंदा होने की उम्मीद है तो कोई नाउम्मीद हो कर उनके शवों की तलाश कर रहा है. एक तरफ जहां हादसे की जगह पर खौफनाक सन्नाटा पसरा है, वहीं अस्पतालों और मुर्दाघरों में पीड़ितों के परिवारों की चीख-पुकार नहीं थम रही.
एक शव पर 5 लोगों का दावा
इसी बीच कुछ ऐसे मामले सामने आए हैं जो हैरान कर देने वाले हैं. यहां एक शव पर 5-5 अपनी दावेदारी दिखा रहे हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार एक व्यक्ति ने अपने भतीजे के शव को पहचान लिया है लेकिन फिर भी उसे उसका शव नहीं सौंपा गया, क्योंकि उस बॉडी पर 5 और लोग दावा कर रहे हैं कि वह उनका रिश्तेदार है. ऐसे मामले के बाद अधिकारियों ने ये फैसला किया है कि बिना DNA टेस्ट के किसी को शव नहीं सौंपा जाएगा. बताया जा रहा है कि इस भीषण रेल हादसे में मारे गए 288 लोगों में से 205 शवों की पहचान हो चुकी है, जबकि शेष की जानकारी मिलनी अभी बाकी है. वहीं, हादसे में घायलों की संख्या एक हजार से ज्यादा बताई जा रही है.
भतीजे का शव नहीं ले पा रहे मोहम्मद इनाम
मोहम्मद इनाम उल हक नामक शख्स का कहना है कि उन्होंने अपने भाई और भतीजे के शवों की पहचान कर ली है. उन्होंने बताया कि उनके भतीजों और भाई की ट्रेन हादसे में मौत हो गई थी, इसलिए वे उनके शव लेने आए हैं. उनका कहना है कि वे पिछले चार दिनों से यहां घूम रहे हैं. उनके भाई और दो भतीजे (तौसीफ आलम और तौसीर आलम) इस ट्रेन में यात्रा कर रहे थे, जिनकी मौत हो गई. उन्हें आज AIIMS में एक भतीजे की बॉडी तो मिल गई है. अब वह अपने भाई और दूसरे भतीजे की तलाश कर रहे हैं.
DNA टेस्ट से होगी शव की पहचान
रॉयटर्स के मुताबिक मोहम्मद इनाम उल हक ने बताया कि उन्हें अपने भतीजे की बॉडी प्राप्त करने के लिए DNA टेस्ट कराना होगा. इसके लिए वह अपने दूसरे भतीजे के डीएनए सैंपल के साथ एक डीएनए परीक्षण करवा रहे हैं. इस बच्चे के डीएनए के साथ उनके भतीजे की बॉडी के डीएनए का मिलान करेंगे. उनका कहना है कि भतीजे की बॉडी पाने के लिए डीएनए परीक्षण करने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है. इस पूरी प्रक्रिया में काफी समय लगता है.
निज़ामुद्दीन शख्स का कहना है कि ट्रेन हादसे के दौरान उनका 12 वर्षीय पोता, बेटा और बड़ा पोता इस ट्रेन से सफर कर रहे थे. हादसे के बाद उन्हें अपने 12 वर्षीय पोते का शव मिला है. उनका कहना है कि वो अपने बेटे और दूसरे पोते की तलाश में यहां वहां भटके लेकिन उनका कोई अता-पता ना मिला. अब मजबूर होकर वह एक पोते की बॉडी अपने साथ लेकर जा रहे हैं.
विपदा में अवसर तलाश रहे कुछ लोग
दूसरी तरफ ये भी अंदेशा लगाया जा रहा है कि कई लोग इस विपदा को अवसर मान कर इसका फायदा उठाने की कोशिश में हैं. संदेह है कि घटना को लेकर रेलवे और संबंधित राज्य सरकारों से मिलने वाले मुआवजे के कारण कुछ लोग शवों पर अपना झूठा दावा भी कर सकते हैं.
केंद्र सरकार सहित पश्चिम बंगाल और ओडिशा की राज्य सरकारों ने भी ट्रेन हादसे में जान गंवाने वाले यात्रियों के परिजनों के लिए मुआवजे का ऐलान किया गया है. रेलवे की ओर से घटना में जान गंवाने वाले यात्रियों के पीड़ित परिवारों को 10-10 लाख रुपए के मुआवजे का ऐलान किया गया है. प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष से पीड़ित परिवार को 2-2 लाख रुपए और पश्चिम बंगाल और ओडिशा सरकार की ओर से अपने राज्य के मृत यात्रियों के परिवारों को 5-5 लाख रुपए के मुआवजे की बात कही गई है.
इस तरह हादसे में मारे गए ओडिशा के यात्रियों के परिवार को कुल 17 लाख रुपए मिलेंगे. पश्चिम बंगाल के यात्रियों को भी इतना ही मुआवजा मिलेगा. वहीं, बिहार सरकार की ओर से अभी तक हादसे में मारे गए किसी भी पीड़ित के परिवार के लिए किसी तरह के मुआवजे का ऐलान नहीं किया गया है. ऐसे में बिहार के पीड़ित परिवारों को 12 लाख रुपए मिलेंगे. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, हादसे में बिहार के करीब 25 यात्रियों की जान गई है.